यह सेक्स कहानी उस वक्त की है, जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था.
मैं रोज स्कूल जाता था और स्कूल में मुझे बहुत अच्छा भी लगता था.
मेरे घर में मेरी मम्मी, बहन, पापा और दादी रहते हैं. हमारा घर गांव से थोड़ा दूर खेत के पास था. मेरे पापा खेती करते हैं और मेरी मम्मी खेती में उनकी मदद करती थीं.
जब रात का खाने का समय होता, तब मेरी मम्मी खाना बनाने में बिज़ी हो जाती थीं और दादी चारपाई पर बैठी रहतीं.
मैं और मेरी बहन खेलते रहते और मम्मी के बुलाने पर हम सब खाना खाकर सो जाते थे.
यह हमारा रोज का सिलसिला था.
एक दिन खाने खाकर सब सो गए थे.
मैं भी सो गया था.
तभी रात में मुझको पेशाब लगी तो मैं उठ गया और बाथरूम की ओर जाने लगा.
तभी मुझको कुछ हलचल होती नज़र आई.
मेरे मम्मी पापा का कमरा बाथरूम के बगल में ही था.
मैंने झांक कर देखा तो वे दोनों नंगे थे और आपस में चुदाई कर रहे थे.
उस समय मुझको सेक्स के बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था. मगर सेक्स का खेल कुछ रुचिकर लग रहा था, तो Xxx लाइव सेक्स शो देखने लगा.
मैंने देखा कि मम्मी बेड पर नंगी लेटी थीं और पापा उनकी चुत चाट रहे थे.
मम्मी की चुत पर थोड़े थोड़े बाल भी थे और पापा बोल रहे थे- ये बाल क्यों नहीं काटती?
मम्मी बोलीं- कब समय मिलता है इन सब चीजों के लिए. दिन भर तो खेत पर ही रहती हूँ. पिछली बार आपने ही काटे थे. इस बार मैंने ध्यान ही नहीं दिया.mummy sex with pdosi uncle top and limited 2024
पापा ने मम्मी को उठाया और अपना लंड उनके मुँह में दे दिया.
मम्मी पापा का लंड आइस्क्रीम की तरह चूसने लगीं.
थोड़ी देर बाद पापा ने मम्मी को घोड़ी बनाया और पीछे से चुत में अपना लंड पेल दिया.
लंड डलवाते ही मम्मी उछल पड़ीं और चिल्ला दीं- आई मर गई … आह एम्म … निकालो बाहर … बहुत दर्द हो रहा है.
मगर पापा ने मम्मी की एक नहीं सुनी और लंड पेलते रहे.
मम्मी की मादक आवाज़ मेरे कानों में गूँजती रही ‘आह उम्म एयेए … एम्म आह.’
थोड़ी देर बाद पापा का पानी निकल गया और वे शांत हो गए.
उन्होंने अपना लंड चुत से बाहर निकाला और उठ कर मम्मी की साड़ी से अपना लंड पौंछने लगे.
मैंने देखा कि मम्मी की चुत से एक सफेद रस सा निकल रहा था.
शायद पापा भी वहीं सफेद रस पौंछ रहे थे.
अचानक से पापा का ध्यान मुझ पर पड़ गया.
मुझको समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.
तभी उन्होंने मुझको अन्दर बुलाया और बोले- बेटा, तुम इधर क्या कर रहे हो?
मैं धीमे से बोला- मैं तो टॉयलेट करने आया था, लेकिन मम्मी की आवाज़ सुनी तो इधर आ गया. मम्मी आपको क्या हो गया है?
तभी मम्मी बोलीं- कुछ नहीं बेटा, मेरी कमर में दर्द हो रहा था. पापा ने उसे ठीक कर दिया है. अब तुम जाओ और सो जाओ.
मैं जाकर सो गया.
उसके बाद मुझको चुदाई के बारे में थोड़ा थोड़ा पता चलने लगा कि यह सब क्या होता है.
मैं सोचने लगा कि जब इस खेल को देखने में इतना मजा आता है कि अपने आप लंड खड़ा हो जाता है, तो इसको करने में कितना ज्यादा मजा आता होगा.
फिर एक दिन मैं स्कूल से दोपहर में ही घर आ गया था क्योंकि मेरे पेट में दर्द हो रहा था.
मैं जैसे ही घर के अन्दर आया, तो देखा कि मेरे गांव का दुकानदार लालू मेरे घर पर आया हुआ था और मम्मी उसके पास थीं.
उस समय पापा खेत में थे.mummy sex with pdosi uncle top and limited 2024
मैंने देखा कि मम्मी के हाथ की कांच की दो चूड़ियां ज़मीन पर टूटी पड़ी थीं और मम्मी के बाल भी बिखरे हुए थे.
मैंने सोचा कि साला यहां कुछ तो हुआ है.
मेरी मम्मी मुझे घर आया देख कर बोलीं- बेटा आज तो तुम जल्दी आ गए?
मैंने कहा- हां मेरे पेट में दर्द हो रहा है, इसलिए आ गया.
मेरी मम्मी ने मुझको अपने पास बुलाया और मेरा पेट सहलाने लगीं.
उन्होंने फिर से पूछा कि कहां दर्द हो रहा है मेरे बेटे को?
मम्मी के पास बैठा वह दुकानदार लालू बहुत भयानक लग रहा था.
उसका रंग काला था और वह बड़ी बड़ी दाड़ी भी रखता था.
मुझे तो उसे देख कर ही बहुत डर लगा था.
जैसे ही मैं मम्मी के पास गया, तो मेरे हाथ में कुछ चिपचिपा सा तरल पदार्थ जैसा कुछ लगा.
मैंने देखा कि ये सफेद रंग का कुछ है.
मैं उस सफेद पदार्थ की तरफ देखने लगा.
तभी मम्मी बोलीं- अरे कुछ नहीं बेटा, ये तो मक्खन लग गया होगा जो लालू जी लेकर आए हैं.
इस पर मैंने कहा- ओके … मैं चख कर देखता हूँ!
तभी मेरी मम्मी एकदम से बोलीं- नहीं नहीं बेटा, वह थोड़ा खराब हो गया है. तेरा पेट भी खराब है तो मैं तुझे बाद में दे दूँगी.
इतना कह कर मम्मी उस दुकानदार लालू के लिए चाय बनाने के लिए जाने लगीं.
अब लालू ने मुझसे पूछा- कौन सी कक्षा में पढ़ते हो?
मैंने बताया.
फिर वह बोला- मेरी दुकान पर आया करो. तुम्हें जो पसंद आएगा तो मैं दे दूँगा.
उसकी इस बात से मैं बहुत खुश हो गया.
फिर उस दुकानदार ने चाय पी और मम्मी को कुछ इशारा करते हुए चला गया.
कुछ ही दिनों बाद दीवाली आ गयी और मुझको स्कूल से छुट्टी मिल गयी.
मुझको दीवाली का त्यौहार बहुत पसंद है क्योंकि इस त्यौहार पर नए नए कपड़े पहनने को और मिठाइयां आदि खाने को मिलती हैं.
उस दिन पापा ने मम्मी से कहा कि जाओ और लालू की दुकान से जो कुछ भी मिठाई व दूसरे सामान लाना हो, तो ले आओ.
यह कह कर पापा ने मम्मी के हाथ पर पैसे रख दिए.
मैं भी जिद करने लगा कि मैं भी चलूँगा.
मम्मी बोलीं- ठीक है.
फिर हम दोनों लालू दुकानदार की दुकान पर गए.
लालू मेरी मम्मी को देखते ही खुश हो गया. उसने मेरे ही सामने मेरे मम्मी का हाथ पकड़ लिया.
तब मेरी मम्मी बोलीं- ये क्या कर रहे हो? बच्चा साथ में है. कुछ तो शर्म करो.
उसने कहा- बहुत दिन हो गए, कुछ नहीं किया.
उस लालू ने मुझसे कहा- बेटा तुम्हें जो कुछ भी चाहिए वह तुम ले सकते हो.
फिर उसने बाहर से दुकान को बंद कर दिया और अन्दर मेरी मम्मी को आने का इशारा कर दिया.
अब अन्दर लालू और मेरी मम्मी ही थीं.
उस वक्त लालू ने कुछ पैसे मेरे हाथ पर रखते हुए कहा कि तुमको जो कुछ भी चाहिए, वह तुम लेकर खा सकते हो. जाओ बाजार घूम आओ.
मैं बहुत खुश हो गया.
उसने मेरी मम्मी का हाथ पकड़ा और अन्दर वाले कमरे में ले जाने लगा.
तभी मैंने पूछा- मम्मी आप कहां जा रही हो?
मम्मी बोलीं- कुछ नहीं बेटा, लालू जी मुझे अन्दर वाले कमरे में ले जा रहे हैं. वहां कुछ नया सामान आया है. तुम अन्दर मत आना. मैं देख कर जल्दी ही आती हूँ. अंकल ने कहा है न कि तुम्हें जो चाहिए, वह ले लेना.
समझ तो मैं गया ही था कि आज कुछ खेल होने वाला है. अब मैं भी बहुत चालू हो गया था.
मैं भी चुपके से पीछे से चला गया और दरवाजे की झिरी से अन्दर क्या हो रहा है, वह सब कुछ देखने लगा.
अन्दर वे दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे.
मम्मी लालू को पूरा सहयोग दे रही थीं.
फिर उसने मेरी मम्मी का ब्लाउज खोला तो मम्मी के गोरे गोरे चूचे बाहर आ गए.
लालू उन दोनों चूचों को मसलने लगा था.
मेरी मम्मी आह आह करने लगीं.
फिर वह लालू मेरी मम्मी की एक चूची को चूसने लगा और दूसरी को मसलने लगा.
मम्मी ने उसकी पैंट खोली और अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगीं.
कुछ देर बाद लालू ने अंडरवियर को उतार दिया.
मैं तो देखता ही रह गया.
उसका लंड तो काफी बड़ा दिख रहा था.
मम्मी ने झट से अपना मुँह खोला और उसके लंड को मुँह में लेने लगीं.
मम्मी उसके लौड़े को पूरा अपने मुँह में गले तक ले रही थीं.
फिर उसने मेरी मम्मी की साड़ी खोली और पेटीकोट का नाड़ा भी खींच कर उतार दिया.
अब मेरी मम्मी एक पैंटी में रह गई थीं. लालू ने मम्मी की पैंटी भी निकाल दी.
मैंने देखा कि मेरी मम्मी के चूतड़ तो बहुत ही मोटे थे.
उनके चूतड़ ऐसे लग रहे थे जैसे दो बड़े बड़े गुब्बारों में हवा भरी हो और वे मम्मी की कमरे के नीचे लटका दिए गए हों.
लालू मेरी मम्मी के दोनों चूतड़ों को एक साथ अपने हाथों में भर कर दबा रहा था.
मम्मी भी पूरी गर्म हो गई थीं.
फिर लालू ने मम्मी को लिटा दिया और मम्मी की चुत पर अपना थूक लगा दिया.
मैंने देखा कि मम्मी की चुत बिल्कुल साफ थी; आज उनकी चुत पर एक भी बाल नज़र नहीं आ रहा था.
उनकी गुलाबी चुत का तो मैं दीवाना हो गया था.
फिर लालू ने अपने भीमकाय लंड को मम्मी की चुत में सैट किया और धक्का देकर अन्दर पेल दिया.
मेरी मम्मी की दर्द से भरी हुई आवाज आने लगी- आह मर गई … आह बहुत बड़ा है … उम्म एम्म आ आ उम्म थोड़ा धीरे अहहा उम्म मैं कहां भागी जा रही हूँ … उम्म्म आह थोड़ा धीरे उम्म्म आह.
फिर मैंने बाहर से जानबूझ कर आवाज दे दी- मम्मी क्या हुआ?
मम्मी ने दरवाजे की तरफ देखा और जब मैं नहीं दिखा, तो उन्होंने समझा कि मैं सिर्फ उनकी आवाज सुनकर कह रहा हूँ.
वे बोलीं- कुछ नहीं बेटा, लालू जी मेरी कमर का दर्द निकाल रहे हैं. तुम उधर ही रहना. मैं बस आ ही रही हूँ.
फिर दस मिनट तक ऐसे ही चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा. मैं Xxx लाइव सेक्स शो देखता रहा.
दस मिनट बाद लालू ने अपना लंड चुत से निकाला.
मैंने भी जानबूझ कर चुदाई खत्म होते ही दरवाजा खोला.
मैं अन्दर का सीन देखते ही रह गया.
मम्मी जल्दी से चादर से अपना जिस्म ढकती हुई बोलीं- तुम क्यों अन्दर आ गए?
शायद वह मुझ पर चिढ़ रही थीं.
मैंने देखा कि मम्मी की आंखें गुस्से से लाल हो चुकी थीं.
मम्मी ने अपनी गांड पर से लालू का पूरा माल पौंछ डाला और अपनी साड़ी पहन कर बाहर आने लगीं.
तब मम्मी ने मुझसे कहा कि मैंने तुम्हें अन्दर आने के लिए मना किया था ना! फिर क्यों आए?
मैंने कहा- आप चीख रही थीं, तो मुझसे रहा नहीं गया. इसी लिए मैं अन्दर चला आया.
मम्मी- अरे बेटा, कुछ नहीं वह तो मेरा दर्द ठीक कर रहे थे.
मैंने कहा- अच्छा वैसे ही, जैसे पापा उस दिन कर रहे थे?
मम्मी जल्दी से बोलीं- हां बिल्कुल उसी तरह से … लेकिन यह सब तुम पापा को मत बताना. नहीं तो लालू जी तुम्हें फिर से चॉकलेट नहीं देंगे.
मैंने हां बोल दिया.
फिर हम दोनों ने लालू की दुकान से सब सामान लिया और हम दोनों घर लौट कर आ गए.
दोस्तो यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है.
आपको मेरी Xxx लाइव सेक्स शो कहानी कैसी लगी?
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